कुछ होश भी थम सा गया था प्यार के आगोश में,
लकिन धड़कनो का थमना अभी बाकी था,
रात थम गयी थी आसमान के आगोश में,
लकिन सितारों का थमना अभी बाकी था,
ओस की चादर थी बिखरी हुई पेड़ों की शाख पे,
लकिन आसुओं का थमना अभी बाकी था,
बेबस था ये जहाँ मेरी दुआओं की वजह से,
लकिन उन दुआओं का अभी कबूल होना बाकी था,
मेहन्दी तो लगा ली उसने अपने हाथों में मेरे नाम की,
लकिन उस मेहन्दी में मेरे नाम को सज़ा जाना अभी बाकी था,
रिश्तों की डोर तो थामे बैठा था मैं कब से,
लकिन उस रिश्ते की डोर का बढ़ना अभी बाकी था,
कुछ रास्ते थे अंजाने से बेगाने से,
लकिन उन रास्तों में उस हुंसफर का मिल जाना अभी बाकी था,
कुछ उदासी सी थी मेरे आँखों में,
लकिन उस उदासी को पन्नो में लिखा जाना अभी बाकी था,
माना कलम की स्याही सूख गयी थी उसकी आस में,
लकिन उसके इंतेज़ार में उस ग़ज़ल का लिखा जाना अभी बाकी था,
कुछ इबादतें थी मेरी आँखों ने पढ़ी उसकी खातिर,
उन इबादतों में उसका समा जाना अभी बाकी था,
मुंतज़ीर था मैं उसकी यादों के क़ैदखाने का,
लकिन उसकी यादों का मेरे जेहन में लिखा जाना अभी बाकी था,
रूबरू था मैं अपने हालत से अपनी किस्मत से,
लकिन खुदा को मेरा उससे रूबरू करना अभी बाकी था,
कुछ रंजिशें थी दिल की दिमाग़ के फितूर से,
लकिन उस फितूर को रगो में मिलना अभी बाकी था,
एक बेज़ान दिल था पत्थर की तरह मेरे सिने में,
उस पत्थर को उसका आईना बनाना अभी बाकी था,
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