सीने में दिल है,
दिल में है धड़कने,
जिंदगी बस ये धड़कनों का शोर है,
जो मुझे खींचे तेरी ओर है।
राख से सन्नाटे में,
डूबा एक लिबास है,
वो बस एक एहसास है,
इश्क़ जैसे तेरे लिए बस एक रिवाज है।
फिर से सहमी सी एक आवाज है,
चीखती चिल्लाती जैसे धड़कनो का साज है,
हर आहट पे गूँजती हैं खामोशियाँ,
हर ज़ख्म पे टूट जाये ऐसे कुछ अल्फाज़ हैं,
रूठे हम बेहिसाब हैं,
जैसे खुद ही खुद से नाराज हैं,
इश्क़ है आइना अपना अक्स से महरूम सा,
खुद से खोके खुद को हम ढूंढते बदहवास हैं,
मंज़िल का पता नहीं,
रास्ते अपने जैसे घर की आवाज हैं,
मुसाफिर हैं हम तो जहान के,
बेखबर से जैसे अपने जज्बात हैं।
चल पड़े हैं फिर कहीं,
जैसे रूठी फिर एक आवाज है,
मनाना है शायद खुद को,
फिर साथ खुद के जज्बात हैं।
©blessedwithsins :):)