पानी की बूँदें ओस की तरह उसके चेहरे पे आके गिरी। एक पल के लिए वो सकपका गया, फिर नजरे उठा के देखा तो माँ उसके सिरहाने पे बैठी थी।माँ ने उसके सिर को सहलाया और पूछा, क्या हुआ? देर कैसे हो गयी तुझे आज। दफ्तर नहीं जाना है क्या, दस बजने वाले हैं। माँ की बातें सुनके वो थोड़ा उठके बैठा और कहा, आज देर से जाऊँगा। मुझे बाजार में थोड़ा काम है। माँ ने उसके चेहरे की तरफ फिर से देखा और कहा, क्या बात है बेटा? तू बहुत उदास लग रहा है और मुझे ये भी आभास हो रहा है जैसे तू रात भर सोया नहीं है। तेरी पलकें बड़ी भारी भारी सी लग रही हैं। माँ की बातें सुनके उसने कहा, नहीं माँ ऐसा कुछ नही है।मैं एकदम ठीक हूँ, बस रात को ठीक से नींद नहीं आई। माँ ने कहा ठीक है, जल्दी से तैयार हो जा तो मैं खाना बना दूँ, खाना खाके जाना और ये कहके माँ उसके कमरे से चली गयी। माँ के जाने के बाद उसने फ़ोन उठाया और देखा उसमे कुछ मैसेजेस पड़े हुए थे। उसने बाकि सब मैसेजेस को देखना जरुरी नहीं समझा। उसकी नजरे सीधे एक नाम के आगे टिक गयी, आइना। उसने जल्दी से मैसेजेस पढ़े और एक मैसेज को देख के उसके चेहरे के हाव भाव बदल से गए। उसके चेहरे पे थोड़ी परेशानी सी उभर आई थी। वो जल्दी से तैयार हुआ और बाजार की तरफ निकल पड़ा, उसने माँ की बात को नजरअंदाज किया और निकलते निकलते कह गया, माँ मेरा इंतज़ार मत करना मै देर से आऊँगा। रास्ते पे जाते जाते उसने फ़ोन निकला और अपने बॉस का नंबर डायल कर दिया। बॉस ने पूछा, क्या हुआ रजत? बहुत परेशान लग रहे हो! रजत की आँखों में थोड़ी नमी सी थी।उसने एक लम्बी साँस ली और कहा, मैं आज दफ्तर नहीं आ पाउँगा। माँ की तबियत ख़राब है। बॉस ने कहा, ठीक है, तुम अपनी माँ का ख्याल रखो,और ज्यादा दिन की छुट्टी चाहिए तो मुझे बता देना। रजत ने शुक्रिया कहके फ़ोन काट दिया और दुबारा फ़ोन लगाया। लकिन इस बार ये फ़ोन बॉस को नहीं था। फ़ोन की स्क्रीन पर जो नाम आ रहा था, वो था आइना। फ़ोन उठा और बड़ी देर बाद एक आवाज रजत को सुनाई दी। रजत आवाज की परेशानी को पहचान गया था लकिन उसने बड़े इत्मीनान से पूछा, आइना, क्या हुआ? तुम इतनी परेशान क्यों हो? फिर से दूसरी तरफ ख़ामोशी थी। अब आवाज में और ज्यादा नमी थी। बड़ी दबी सी आवाज में आइना ने कहा, रजत, मेरे पापा को हमारे बारे में पता चल गया है। वो नहीं चाहते हम एक दूसरे से मिलें या हमारे बीच में किसी भी तरह का रिश्ता हो।रजत, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊँगी। मुझे यहाँ से ले जाओ, अब ये घर मुझे काटने को दौड़ता है।रजत ने कहा, सब्र रखो आइना। सब ठीक हो जायेगा, मैं हूँ न तुम्हारे साथ, फिर क्यों परेशान होती हो।शाम को मिलते हैं, फिर से वहीँ मेरे दफ्तर की कैंटीन में|मैं रोज की तरह तुम्हारा इंतज़ार करूँगा, आना जरूर। और आइना ने जैसे ख़ामोशी में ही हाँ कह दी हो, इस बात को समझ के रजत ने फ़ोन काट दिया।रजत अब बस शाम के इंतज़ार में था, फिर अपनी आइना से मिलने का इंतज़ार।
आइना – २
#आइना #इश्क़ #हसरतें
Advertisements