सुकून

मुद्दतें बीत गयी तुझे याद करके नही देखा,
कुछ यूँ सुकून दे गया मुझको इश्क़ खुद को बर्बाद करके नही देखा,

मैं तो उमर भर तेरी यादों का मुंतज़ीर रहा,
ना जाने कौन सी यादों में रातों को बर्बाद करके नही देखा,

बड़ी तिसनगी सी है इन आँखों में मोहब्बत की खातिर,
कुछ जादू सा था तेरी आँखों में शायद कोई ख्वाब सज़ा के नही देखा,

चन्द अरमान से पिरोए थे संजीदा से इस दिल ने तेरी खातिर,
दिल टूटा है कुछ इस कद्र की फिर कोई अरमान पिरोके नही देखा,

चन्द मुस्कानों की खातिर ज़िंदगी से चाहा है तुझे बड़े एहतरम से,
उन मुस्कानों के बाद और किसी मुस्कान से दिल लगा कर नही देखा,

बड़ी आसानी से काट जाती थी तन्हा रातें तेरे इश्क़ के गुनाह में,
तुझसे इश्क़ के बाद उस तन्हाई में और कोई गुनाह करके नही देखा,

हर रात कटी है तन्हा तेरी मोहब्बत के ख़यालों में,
कभी उन ख़यालों में मोहब्बत को तन्हा करके नही देखा,

उमर काट जाती शायद तेरी मोहब्बत के किस्से कहानियों में,
लेकिन तेरे इश्क़ में डूब के ज़िंदगी का पन्ना पलट के नही देखा,

हर खुशी हर गुम बस तुझसे जुड़ा था मेरा इश्क़ के बाद,
हसरत-ए-इश्क़ में तेरी हर खुशी हर गुम को भुला कर नही देखा,

काश फलक से टूट जाते कुछ सितारों तेरी यादों के जुगनू की तरह,
तो इत्मिनान सा हो जाता मोहब्बत ही की है कोई सौदा करके नही देखा,

कुछ तस्वीरें थी तेरी यादों की मेरे दिल के घरोंदे में,
उलफत कुछ यूँ हुई नज़र मिलने की जब देखा तो बस ज़मीन से आसमान देखा,

#इश्क़ #हसरतें

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