मैने तुम्हारी नज़रों से प्यार करना सीख लिया,
इसी बहाने मैने खुद से इज़हार करना सीख लिया,
मुश्किलों से मुलाक़ातें होती रहीं मोहब्बत में,
मैने उन मुश्किलों में तुम्हे अपना बनाना सीख लिया,
बड़ी लंबी होती हैं रातें इंतेज़ार की मोहब्बत में,
उन रातों में मैने तुम्हे अपना हमसफ़र बनाना सिख लिया,
खामोशी ज़ुबान बन जाती है मोहब्बत में अक्सर दिलों की,
मैने उस खामोशी से अल्फ़ाज़ बनाना सीख लिया,
आँखों से इज़हार करना अदा बन जाती है मोहब्बत में,
मैने उस अदा को अपना आईना बनाना सीख लिया,
उसका ख़याल भी आए तो धड़कने तेज हो जाती हैं,
मैने इन धड़कनो को उसके नाम से खामोश करना सीख लिया,
उससे मिलने के बहाने सोचने लगता हूँ अक्सर यूँ ही,
मैने उन बहानो को अपनी तक़दीर बनाना सीख लिया,
मुंतज़ीर रहता हूँ अक्सर उसकी मुस्कान का मैं तो,
मैने उसकी मुस्कान को अपनी ज़िंदगी बनाना सीख लिया,
अक्सर बैठ जाता हूँ रास्तों में उसकी राह देखने को,
मैने उन रास्तों को अपनी मंज़िल बनाना सीख लिया,
उसका होंठों से इज़हार करना, आँखों से इनकार करना,
मैने उसकी इन सब अदाओं में खुद को महफूज़ रखना सीख लिया,
उसकी गुस्से में रूठ जाने की अदा, मेरे मना लेने का अंदाज़,
इसी कस्म्कशिश के बीच मैने उसके गम भुलाना सिख लिया,
कभी उसकी सादगी तो कभी उसकी मासूमियत से मोहब्बत हुई,
इसी सादगी और मासूमियत से मैने उसका ख़याल रखना सिख लिया,
ज़िंदगी की जूस्तजू और उलझनो के बीच मोहब्बत हो गयी,
मैने उस मोहब्बत को अपनी सुलझन बनाना सीख लिया,
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